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बिना ऑपरेशन बवासीर का इलाज: आयुर्वेद से पाएं प्राकृतिक राहत

बवासीर(PILES)

बवासीर, जिसे हम आम भाषा में पाइल्स भी कहते हैं, एक ऐसी समस्या है जो गुदा (एनस) और मलाशय (रेक्टम) की नसों में सूजन के कारण होती है। यह स्थिति बहुत दर्दनाक हो सकती है, और कई बार इससे रक्तस्राव और जलन भी हो सकती है। बवासीर के लिए ऑपरेशन एक विकल्प होता है, लेकिन बहुत से लोग बिना ऑपरेशन के इलाज की तलाश में होते हैं। सौभाग्य से, आयुर्वेद में बवासीर को जड़ से ठीक करने के कई प्राकृतिक तरीके बताए गए हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे आप आयुर्वेदिक उपचारों और जीवनशैली में कुछ बदलाव के साथ बवासीर से राहत पा सकते हैं।

बवासीर क्या है?

बवासीर या पाइल्स, गुदा और मलाशय के आसपास की नसों में सूजन से उत्पन्न होती है। इसमें दर्द, जलन, खुजली और कभी-कभी खून आने की समस्या होती है। यह समस्या उन लोगों में अधिक होती है जो अत्यधिक बैठे रहते हैं, कम पानी पीते हैं, या जिनके आहार में फाइबर की कमी होती है। इसके अलावा, कब्ज भी बवासीर का मुख्य कारण माना जाता है।

                 

आयुर्वेद से बवासीर का इलाज

आयुर्वेद के अनुसार, बवासीर मुख्य रूप से तीन दोषों – वात, पित्त और कफ – के असंतुलन से होता है। ये दोष शरीर की सभी प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं, और इनका असंतुलन बवासीर जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। आयुर्वेद का उद्देश्य इन दोषों को संतुलित कर पाचन तंत्र को मजबूत बनाना है। आयुर्वेदिक उपचार न केवल बवासीर के लक्षणों से राहत देते हैं, बल्कि समस्या को जड़ से समाप्त करने में भी सहायक होते हैं।

बवासीर के लिए प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार

त्रिफला चूर्ण 

त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद में एक प्रसिद्ध औषधि है, जो आंवला, बिभीतकी और हरड़ के संयोजन से बनी होती है। यह पाचन तंत्र को सुधारता है और कब्ज को दूर करता है। बवासीर के मरीजों के लिए त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन विशेष रूप से लाभदायक होता है, क्योंकि इससे पेट साफ रहता है और मल त्याग में आसानी होती है। इसे एक गिलास गुनगुने पानी के साथ रात में सोने से पहले लिया जा सकता है।

अर्जुन की छाल का काढ़ा

अर्जुन की छाल में सूजनरोधी (एंटी-इंफ्लेमेटरी) गुण होते हैं जो बवासीर के दर्द और सूजन को कम करने में मददगार होते हैं। अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से गुदा और मलाशय की नसों में बनने वाले दबाव में कमी आ सकती है, जिससे बवासीर के लक्षणों में राहत मिलती है।

आंवला 

आंवला, विटामिन सी और फाइबर से भरपूर एक ऐसा फल है जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। इसका सेवन मल त्याग को आसान बनाता है और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर रखता है। बवासीर के रोगी आंवला का सेवन कच्चा कर सकते हैं या इसके जूस का उपयोग कर सकते हैं।

अरंडी का तेल

अरंडी का तेल एक प्राकृतिक लेक्सेटिव (मल त्याग को आसान बनाने वाला) है। इसे एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ सोने से पहले लेने से सुबह पेट साफ रहता है और बवासीर में आराम मिलता है। यह मलाशय की नसों में बनने वाले तनाव को कम करने में सहायक है और मल त्याग को दर्द रहित बनाता है।

दही और छाछ 

दही और छाछ पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होते हैं। इनमें प्रोबायोटिक्स होते हैं जो आंतों की सेहत को सुधारते हैं और पेट की समस्याओं को दूर रखते हैं। बवासीर के मरीज इन्हें भोजन के साथ या भोजन के बाद ले सकते हैं। छाछ में जीरा पाउडर और काला नमक मिलाकर पीने से भी पाचन शक्ति में सुधार होता है।

बवासीर में क्या खाएं और क्या न खाएं

बवासीर में सही खानपान का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। सही आहार न केवल दर्द को कम करता है, बल्कि सूजन को भी नियंत्रित करता है।

खाने योग्य खाद्य पदार्थ:

हरी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे पालक और मेथी पाचन के लिए फायदेमंद होती हैं।

फलों में पपीता, केला, और सेब: इन फलों में फाइबर होता है, जो पाचन को बेहतर बनाता है।

उच्च फाइबर युक्त अनाज जैसे जौ और ओट्स का सेवन करना चाहिए।

पानी और तरल पदार्थ: पर्याप्त मात्रा में पानी और तरल पदार्थ पीने से आंतें नरम रहती हैं और मल त्याग आसान हो जाता है।

परहेज करें:

मसालेदार और तला हुआ खाना: मसालेदार खाना बवासीर की सूजन और जलन को बढ़ा सकता है।

कॉफी और चाय का अत्यधिक सेवन: कैफीन युक्त पेय शरीर को डिहाइड्रेट करते हैं, जिससे कब्ज हो सकता है।

मांसाहारी भोजन: तला हुआ और भारी मांसाहार पचाने में मुश्किल होता है और इससे पेट की समस्याएं बढ़ सकती हैं।

मैदा और चीनी से बनी चीजें: ये पचने में कठिन होती हैं और कब्ज को बढ़ा सकती हैं।

बवासीर से बचने के लिए जीवनशैली में सुधार

व्यायाम करें: नियमित व्यायाम पाचन को सुधारता है और आंतों में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है। रोजाना 30 मिनट का व्यायाम बवासीर के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है।

ज्यादा पानी पिएं: पानी की कमी से कब्ज हो सकता है, जो बवासीर को और बढ़ा सकता है। दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए।

लंबे समय तक बैठने से बचें: अधिक देर तक बैठे रहने से मलाशय की नसों पर दबाव बढ़ता है, जो बवासीर की समस्या को और गंभीर बना सकता है।

समय पर मल त्याग करें: मल त्याग को रोके नहीं, इससे आंतों में दबाव बढ़ता है और बवासीर की समस्या बढ़ सकती है। नियमित और समय पर मल त्याग करने से इस समस्या से बचा जा सकता है।

निष्कर्ष

बवासीर का इलाज बिना ऑपरेशन के भी संभव है। आयुर्वेदिक उपचार और स्वस्थ जीवनशैली के जरिए इस समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। त्रिफला चूर्ण, अर्जुन की छाल, आंवला, और अरंडी का तेल जैसे आयुर्वेदिक उपचार बवासीर में राहत देने के साथ ही इसे जड़ से समाप्त करने में भी सहायक हो सकते हैं। इसके साथ ही, सही खानपान और नियमित व्यायाम से बवासीर को बढ़ने से रोका जा सकता है।

अंत में, यह हमेशा सलाह दी जाती है कि किसी भी उपचार को शुरू करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें ताकि आपको सही और सुरक्षित उपचार मिल सके।

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